| नक्षत्र | मुळ |
| नक्षत्र देवता | निॠति(राक्षस) |
| नक्षत्र स्वामी | केतु |
| राशी | धनु |
| योनी | श्वान |
| नाडी | आद्य |
| गण | राक्षस |
| आयन अंश | २४० ते २५३.२० |
| नक्षत्र पाया | तांबा |
| दान वस्तु | लोखंड |
| मुख | अधो |
| दृष्टी | सुलोचन |
| नक्षत्र तत्व | जल |
| नक्षत्र संज्ञा | तीक्ष्ण |
| नक्षत्र आराध्य वृक्ष | राळ |
| नक्षत्र पर्यायी वृक्ष | देवबाबुळ |
| धार्यौषधि | रुई |
| क्षेमकर वृक्ष | रुई |
| नक्षत्र प्राणी | कुत्रा |
| नक्षत्र स्वभाव | तीक्ष्ण |
| राशी व्याप्ती | ४ हि चरण धनु राशीमध्ये |
| चरणाक्षरे(चरणांक) | ये(१),यो(२),भा(३)भी(४) |
| नक्षत्र नाम मंत्र | ॐ मुलाय नमःl |
| नक्षत्र देवता नाममंत्र | ॐ निॠतये नमः l |
| पौराणिक मंत्र | खड्.गखेटधरं कृष्णं यातुधानं नृवाहनम् l अर्ध्वकेशं विरुपाक्षं भजे मुलाधिदेवताम् ll |
| नक्षत्र पीडाहर मंत्र | निॠति खड्.गहस्तंच सर्व लोकैक पावन l नरवाहन मत्युग्रं वंदेहं कालिकाप्रियं ll |
नक्षत्र,नक्षत्र देवता, नक्षत्र स्वामी, नक्षत्र आराध्य वृक्ष, नक्षत्र पर्यायी वृक्ष, राशी व्याप्ती, नक्षत्र प्राणी, नक्षत्र तत्व, नक्षत्र स्वभाव, नक्षत्र नाम मंत्र, नक्षत्र देवता नाममंत्र, पौराणिक मंत्र, नक्षत्र पीडाहर मंत्र.
मूळ
Subscribe to:
Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment