| नक्षत्र | उत्तराषाढा |
| नक्षत्र देवता | विश्वदेव |
| नक्षत्र स्वामी | रवि |
| राशी | धनु,मकर |
| योनी | मुंगुस |
| नाडी | अंत्य |
| गण | मनुष्य |
| आयन अंश | २६६.४० ते २८० |
| नक्षत्र पाया | तांबा |
| दान वस्तु | महिषी |
| मुख | ऊर्ध्व |
| दृष्टी | मंद |
| नक्षत्र तत्व | पृथ्वी |
| नक्षत्र संज्ञा | ध्रुव |
| नक्षत्र आराध्य वृक्ष | फणस |
| नक्षत्र पर्यायी वृक्ष | कांचन |
| धार्यौषधि | कापुस |
| क्षेमकर वृक्ष | कळंब |
| नक्षत्र प्राणी | मुंगुस |
| नक्षत्र स्वभाव | स्थिर |
| राशी व्याप्ती | पहिले चरण धनु राशीमध्ये,बाकीचे ३ चरण मकर राशीमध्ये |
| चरणाक्षरे(चरणांक) | भे(१),भो(२),जा(३),जी(४) |
| नक्षत्र नाम मंत्र | ॐ उत्तराषाढाभ्यां नमःl |
| नक्षत्र देवता नाममंत्र | ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः l |
| पौराणिक मंत्र | विश्वांदेवान् अहं वंदेषाढनक्षत्रदेवताम् l श्रीपुष्टिकीर्तीधीदात्री सर्वपापानुमुक्तये ll |
| नक्षत्र पीडाहर मंत्र | देवता बहुरूपत्वात् विश्वेदेवास्तथैवच l सर्वारिष्ट विनाशाय तेभ्यो नित्यं नमो नमःll |
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उत्तराषाढा
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